गोरी तेरे बाल
गोरी तेरे बाल
प्रिय आओ ना! सुलझा दूं ,
तेरे लंबे ,काले,उलझे,गीले बाल।
अलसायी सी क्यूँ हो बैठी ,
चंचल चितवन से रही निहार।
पानी की बूंदे टप टप टपके ,
माथे पे तेरे लगातार ।
गीले बालों से बढ़ जाती ,
चेहरे की तेरे सुंदरता अपार।
पानी की बूंदें ऐसे चमके,
गालों पर जैसे मोती ढुलके ,
तौलिए से जब तुम बाल सुखाती।
तेरी मादक काया मुझे लुभाती।
आलिंगनबद्ध तुम्हे कर लूं
इच्छा ये इस दिल मेंं हो जाती।
प्रिय आओ ना मेरे पास,
करती हो क्यूँ मुझे उदास।
तेरी ज़ुल्फ़ों के साए मेंं,
बुझती मेरे मन की प्यास।
बना लेती हो जब तुम,
चोटी लंबे बालों की।
लहर लहर लहराए चोटी,
ज्यूं नागिन की चालों सी।
जब तुम कभी बना लेती,
लंबे बालों का जूड़ा।
लगा लेती हो,
बेला चमेली का गजरा।
फूलों की और तेरी खुशबू से,
होता मादक वातावरण पूरा।
खुशबू दिल पर तीर चलाए,
तेरे आगे-पीछे मुझे नचाए।
तेरे लंबे काले बाल ,
तिरछे तेरे नैन कटार।
गुलाब जैसे रक्तिम तेरे होंठ,
करते हैं मुझको मदहोश।
उसपे गिरती जब लटें,कभी कभार
बढ़ जाती तेरी सुंदरता अपरंपार।
प्रिय! आ जाओ ना एक बार
इससे पहले कि मैं हो जाऊं लाचार।
स्नेहलता पाण्डेय'स्नेह'
प्रतियोगिता के लिए
Niraj Pandey
25-Nov-2021 12:02 AM
बहुत खूब
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Zakirhusain Abbas Chougule
24-Nov-2021 11:31 PM
Nice
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fiza Tanvi
24-Nov-2021 10:18 PM
Good
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